इन दिनों हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है कि किसान आन्दोलन का नतीज़ा क्या निकलेगा? सवाल बिल्कुल सटीक और समसामयिक है। कौतूहल स्वाभाविक और सार्वजनिक है। हालाँकि, इसका जवाब आसान नहीं। आन्दोलन एक परीक्षा है, जिसके नतीजे की भविष्यवाणी भले ही कोई कर दे, लेकिन यह बताना मुमकिन नहीं कि नतीज़ा आएगा कब?
कॉरपोरेट के बहिष्कार के सिवाय कोई रास्ता नहीं!
- विश्लेषण
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- 15 Dec, 2020

किसान कैसे भूल सकते हैं कि तेज़ी से कड़े फ़ैसले लेने वाली सरकार ने जिस संसद से डंके की चोट पर कृषि क़ानून पारित करवाये, उसी ढंग से संविधान के अनुच्छेद 370 का सफ़ाया किया, जम्मू-कश्मीर का विभाजन किया और नागरिकता क़ानून बनाया।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली