अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच जिस तरह से युद्धविराम की घोषणा की, उसने भारत की संप्रभुता और बाहरी शक्तियों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। ट्रंप की घोषणा से शिमला समझौते का वह सिद्धांत नष्ट हो गया जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान आपसी मसले द्विपक्षीय आधार पर ख़ुद तय करेंगे। विपक्ष नयी स्थिति में मुखर होकर संसद का सत्र बुलाने की माँग कर रहा है। कई विपक्षी नेता याद दिला रहे हैं कि पं. नेहरू ने चीन युद्ध के जारी रहने के बीच संसद का सत्र बुलाकर तमाम आलोचनाओं का जवाब दिया था।

सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में ट्रंप को पगड़ी पहनाकर गाँव का सरपंच दिखाया गया है, जिसने भारत और पाकिस्तान की बीच सुलह करायी। यह सीज़फ़ायर की घोषणा को लेकर भारत में व्याप्त संशय और व्यंग्य को दर्शाता है। पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इसकी समयरेखा पर सवाल उठाते हुए कहा: “राष्ट्रपति ट्रंप ने शाम 5:25 बजे युद्धविराम की घोषणा ट्वीट की। कुछ मिनट बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ट्वीट किया कि भारत और पाकिस्तान एक ‘तटस्थ स्थान’ पर बातचीत करेंगे। भारत के विदेश सचिव ने शाम 6 बजे संक्षिप्त बयान दिया, जिसमें न ट्रंप का जिक्र था, न रुबियो का, न ही किसी तटस्थ स्थान का। यह चौंकाने वाला है।”