पश्चिम बंगाल में यूं तो त्योहार से सियासत का नाता राज्य में भाजपा के उभार से बहुत पहले से रहा है. लेकिन तब त्योहार का मतलब सिर्फ दुर्गापूजा ही होता था. भाजपा के उभार के बाद खासकर जिस तरह रामनवमी के जुलूस के मुद्दे पर सत्तारूढ़ पार्टी के साथ टकराव तेज हुआ है, उसकी कहानी बहुत पुरानी नहीं है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सहयोगी संगठन राज्य में बहुत पहले से ही सक्रिय रहे हैं. लेकिन वर्ष 2014 से पहले कभी रामनवमी के मौके पर बड़े पैमाने पर जुलूस और हथियार रैलियों का आयोजन राज्य के लोगों ने नहीं देखा था. यह परंपरा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हुई और वर्ष 2018 के पंचायत चुनाव से ठीक पहले जिस तरह रामनवमी के जुलूस पर कथित हमले के बाद आसनसोल के कई इलाको में सांप्रदायिक हिंसा हुई उसने इस आयोजन के मकसद को तो उजागर किया ही, त्योहारों की सियासत में हिंसा का एक नया अध्याय भी जोड़ दिया.