क्या राहुल गांधी का "सूट बूट की सरकार" वाला नारा कांग्रेस में उपजे मौजूदा विवाद की सबसे बड़ी जड़ है? क्या इसे लेकर देश के कुछ कॉरपोरेट घराने "गांधी परिवार" से नाराज हैं? या यूं कह लें कि सरकारों से रियायतें हासिल करते-करते कॉरपोरेट घराने अब सरकारी नीतियां ही नहीं राजनीति को भी अपने पैमानों से तय करने लगे हैं?

क्या राहुल गांधी का "सूट बूट की सरकार" वाला नारा कांग्रेस में उपजे मौजूदा विवाद की सबसे बड़ी जड़ है? क्या इसे लेकर देश के कुछ कॉरपोरेट घराने "गांधी परिवार" से नाराज हैं?
इस मुद्दे पर वर्षों से अनेक राजनीतिक समीक्षकों ने प्रखरता के साथ लेख लिखे हैं और विश्लेषकों ने औद्योगिक घरानों को समय-समय पर दिए जाने वाले अनेक ठेकों और परियोजनाओं की इस नजरिये से समीक्षा भी की है। 
इस समय इस मुद्दे पर चर्चा करने का कारण वर्तमान में देश की सबसे पुरानी और सत्ता में सबसे ज़्यादा समय तक रहने वाली कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर उपजा संकट और पार्टी के ही कुछ नेताओं द्वारा शीर्ष नेतृत्व पर उठाए गए सवाल हैं। 
























