जब महंगाई का आँकड़ा आ रहा था व ग़रीबों और मध्य वर्ग पर इसके असर को लेकर चिंताएँ जताई जा रही थीं, उसी दौरान अगले कुछ सालों में खाद्य संकट के गहराने की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट भी आ रही थी। आज से क़रीब 8 साल बाद ही खाने की चीजों के उत्पादन में 16 फ़ीसदी गिरावट आने और भूखे रहने का ख़तरा 23 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है। यह सिर्फ़ जलवायु परिवर्तन के असर से होगा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान यानी आईएफ़पीआरआई की एक रिपोर्ट में इस तरह के डरावने भविष्य की चेतावनी दी गई है।