जब महंगाई का आँकड़ा आ रहा था व ग़रीबों और मध्य वर्ग पर इसके असर को लेकर चिंताएँ जताई जा रही थीं, उसी दौरान अगले कुछ सालों में खाद्य संकट के गहराने की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट भी आ रही थी। आज से क़रीब 8 साल बाद ही खाने की चीजों के उत्पादन में 16 फ़ीसदी गिरावट आने और भूखे रहने का ख़तरा 23 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है। यह सिर्फ़ जलवायु परिवर्तन के असर से होगा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान यानी आईएफ़पीआरआई की एक रिपोर्ट में इस तरह के डरावने भविष्य की चेतावनी दी गई है।
जलवायु परिवर्तन से 8 साल में ही भारत में खाद्य संकट बढ़ जाएगा!
- अर्थतंत्र
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- 13 May, 2022
भारत में अगले कुछ सालों में खाद्य संकट गहराने वाला है। ऐसा एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में कहा गया है। यह संकट जलवायु परिवर्तन के असर से होगा। तो यह असर क्या भूखे रहने के संकट के तौर पर आएगा?

जलवायु परिवर्तन और खाद्य प्रणालियों पर आईएफ़पीआरआई की रिपोर्ट जारी हुई है। इसमें कहा गया है कि 2030 में भूख से पीड़ित भारतीयों की संख्या 7 करोड़ 39 लाख होने की आशंका है और यदि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को शामिल किया जाए तो यह संख्या बढ़कर 9 करोड़ से भी ज़्यादा हो जाएगी। इन्हीं परिस्थितियों में समग्र खाद्य उत्पादन सूचकांक 1.6 से घटकर 1.5 रह जाएगा।