अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बड़ा ट्रेड वॉर शुरू कर दिया है जिससे सारी दुनिया की इकोनॉमी में झटके लग रहे हैं। विश्वव्यापी मंदी की आहट सुनाई दे रही है और कारखानों के पहिये धीमे होते जा रहे हैं। लेकिन साथ ही एक और घटना घट रही है और वह यह कि कभी 100 डॉलर प्रति बैरल पर बिकने वाले कच्चे तेल की कीमतें गिरने लगी हैं। आर्थिक उठापटक के इस दौर में कच्चे तेल की मांग घटती जा रही है जबकि उत्पादन है कि बढ़ता जा रहा है या यूं कहें कि बढ़ाया जा रहा है। तेल उत्पादन करने वाले प्रमुख देशों के संगठन ओपेक ने पहले तेल के उत्पादन पर एक कैप लगा रखा था। लेकिन कुछ देशों ने इसे तोड़कर ज्यादा उत्पादन करना शुरू कर दिया। इसकी एक झलक पिछले साल यानी 2024 में दिखी जब तेल का सरप्लस स्टॉक उन देशों में जमा हो गया।
दुनिया में तेल के दाम गिर रहे, फिर भी आपकी जेब ढीली क्यों
- अर्थतंत्र
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- 8 Apr, 2025

दुनिया में तेल की कीमतें गिर रही हैं, लेकिन भारत के लोगों को उसका फायदा नहीं मिल रहा है। भारत ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क ₹2 प्रति लीटर बढ़ा दिया है। तमाम सवालों का जवाब तलाशती वरिष्ठ पत्रकार मधुरेंद्र सिन्हा की टिप्पणीः