देश का सबसे बड़ा बैंक अब और बड़ा हो रहा है। इतना बड़ा कि उसकी शुरुआत करनेवाली पैरेंट कंपनी भी अब इसी बैंक में समाने जा रही है। घर के लिए कर्ज यानी होम लोन देनेवाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी एचडीएफसी अब अपनी ही एक सहयोगी कंपनी एचडीएफसी बैंक में विलीन होने जा रही है। दोनों कंपनियों के बोर्ड ने इस विलय को मंजूरी दे दी है और एचडीएफसी के हर शेयरहोल्डर को उनके पच्चीस शेयरों पर एचडीएफसी बैंक के बयालीस शेयर मिलेंगे। यह भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े ऐसे सौदों में से एक है। अनुमान लगाया जा रहा है कि विलय के बाद एचडीएफसी बैंक टीसीएस को पीछे छोड़कर भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगा।

विलय के पहले ही एचडीएफसी बैंक के पास देश में सबसे ज़्यादा ऑफिस थे, लेकिन कर्मचारियों की गिनती स्टेट बैंक से कम। और सरकारी बैंक भी मुक़ाबले में कमजोर पड़ते दिखेंगे। यानी अब ग्राहकों के साथ-साथ सरकारी बैंक कर्मचारियों की भी फिक्र बढ़ने का वक़्त है और भारत सरकार की भी।
दोनों ही कंपनियों की तरफ़ से इस विलय का एलान सुबह शेयर बाज़ार खुलने के पहले आया और बाज़ार ने खुलते ही इस सौदे को जबर्दस्त सलामी दी। शायद यह पहला मौक़ा था जब दोनों ही कंपनियों के शेयरों में एक साथ तेरह-चौदह परसेंट तक का उछाल देखने को मिला। इन्हीं की तेजी का असर था कि पूरा बाज़ार जश्न के मूड में दिखाई दिया। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही जबर्दस्त उछाल के साथ बंद हुए।