लगता है कि सरकार ऐसा ही कुछ कहना चाहती है। और एक बार नहीं बार बार कह रही है। लेकिन इसकी अगली लाइन आज की परिस्थिति में किसी भी तरह फिट नहीं हो सकती। वह है .. यावत् जीवेत् सुखम् जीवेत् यानी जब तक जियो सुख से जियो। और यहाँ तो हाल ऐसा है कि दुख ही दूर होने का नाम नहीं ले रहा।

कोरोना राहत के पहले एलान के बाद से जितना कुछ सामने आया है वह मोटे तौर पर उधार बाँटने की ही योजना है। इस वक़्त सबसे ज़्यादा ज़रूरत इस बात की है कि लोग पहले लिए हुए क़र्ज़ चुकाने की हालत में आएँ और नए क़र्ज़ लेने की हिम्मत दिखा सकें।
कोरोना से बुरी तरह मार खाई हुई अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कुल मिलाकर 6,28,993 करोड़ रुपए का नया पैकेज लाने का एलान किया है।
इसके पहले भी मोदी सरकार करीब 24,35,000 करोड़ रुपए के राहत और स्टिमुलस पैकेज का एलान कर चुकी है। लेकिन इसमें से ज़्यादातर रकम क़र्ज़ के नाम पर ही दी जानी है। अब वह कर्ज वापस आएगा या नहीं, यह एक अलग सवाल है।
इसके पहले भी मोदी सरकार करीब 24,35,000 करोड़ रुपए के राहत और स्टिमुलस पैकेज का एलान कर चुकी है। लेकिन इसमें से ज़्यादातर रकम क़र्ज़ के नाम पर ही दी जानी है। अब वह कर्ज वापस आएगा या नहीं, यह एक अलग सवाल है।