लगता है कि सरकार ऐसा ही कुछ कहना चाहती है। और एक बार नहीं बार बार कह रही है। लेकिन इसकी अगली लाइन आज की परिस्थिति में किसी भी तरह फिट नहीं हो सकती। वह है .. यावत् जीवेत् सुखम् जीवेत् यानी जब तक जियो सुख से जियो। और यहाँ तो हाल ऐसा है कि दुख ही दूर होने का नाम नहीं ले रहा।