बहुत बुरा था 2020! लेकिन क्या इतना कहना काफी है? कतई नहीं। मौत के मुँह से वापस निकलने का साल था 2020। यूं नहीं समझ आता तो उन लोगों की सोचिये जो 2020 में कोरोना के शिकार हो गए। या वे जो कोरोना का शिकार होने के बाद फिर ठीक हो गए। और बाकी दुनिया में भी ऐसा कौन था जिसे एक वक़्त यह न लगा हो कि अब मौत सामने खड़ी है? यही तो होता है मौत से सामना।

सीएमआईई के आँकड़ों के अनुसार, 2019 में देश में कुल 8.7 करोड़ वेतनभोगी लोग थे और इस साल यह गिनती घटकर 6.8 करोड़ ही रह गई है। मतलब साफ है कि पिछले साल जो लोग नौकरी कर रहे थे उनमें से करीब 21% के पास इस साल नौकरी नहीं रह गई है। और कंपनियों के मैनेजमेंट को एक बार यह अहसास हो गया है कि कम लोगों में काम चलाया जा सकता है तो अगले साल यह सिलसिला और तेज़ हो सकता है।
यूं तो कोरोना वायरस एक दिन पहले यानी 31 दिसंबर, 2019 को ही पहचान लिया गया था और इसीलिए उसका नाम भी कोविड 2019 है, लेकिन दुनिया ने इसका सामना 2020 में ही किया। इसीलिए कोरोना काल की असली शुरूआत 2020 के नाम ही रहेगी।