क्या नई दिल्ली के 5 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ जम्मू और कश्मीर में मुख्यधारा के राष्ट्रीय दलों का गठबंधन मोदी सरकार को यह निर्णय बदलने या संशोधित करने के लिए मजबूर कर सकता है? यह सवाल कश्मीर के राजनीतिक और सार्वजनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
क्या कश्मीर में पार्टियों का गठबंधन मोदी सरकार पर दबाव बना पाएगा?
- जम्मू-कश्मीर
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- हारून रेशी
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- 24 Aug, 2020


हारून रेशी
क्या मोदी सरकार पिछले साल 5 अगस्त के अपने फ़ैसले को बदल या संशोधित कर सकती है? इस सवाल के जवाब में, कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि सरकार के पास इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का विकल्प है। इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस संबंध में कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट अगर चाहे तो इस फ़ैसले को पलट सकता है।
पिछले साल 5 अगस्त को, नई दिल्ली ने जम्मू और कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा और उसके राज्य का दर्जा रद्द कर दिया था। इससे एक दिन पहले, 4 अगस्त को, श्रीनगर में गुपकार रोड पर फारूक़ अब्दुल्ला के निवास पर राष्ट्रीय मुख्यधारा के दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कई अन्य छोटे दल के नेताओं की बैठक में जम्मू-कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे की रक्षा करने का संकल्प लिया गया था। बैठक में मौजूद प्रमुख नेताओं- फारूक़ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा हस्ताक्षरित संकल्प को "गुपकार घोषणा" के रूप में जाना जाता है।
- Restoration Process after 370
हारून रेशी
हारून रेशी जम्मू-कश्मीर में कार्यरत पत्रकार हैं