जम्मू-कश्मीर में पिछले एक महीने में कितना कुछ बदल गया है? पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाने वाला इलाक़ा ऊपर से स्तब्ध है, लेकिन अंदर से क्यों उबल रहा है? इसके ज़्यादातर इलाक़ों में एक महीने से कर्फ़्यू लगा हुआ है, लेकिन जहाँ ऐसा नहीं है, वहाँ के लोग भी क्यों घरों में दुबके पड़े हैं? सुरक्षा बलों के आग्रह के बावजूद क्यों लोग दुकानें नहीं खोल रहे हैं। डल झील के शिकारे खाली पड़े हैं और सैलानी जा चुके हैं। या उन सैलानियों को चले जाने को कह दिया गया? एक महीने का समय बहुत अधिक नहीं होता, लेकिन इन 30 दिनों में कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पिछले 70 सालों में नहीं हुआ था। झेलम में काफ़ी पानी बह चुका है और घाटी बदल चुकी है, हमेशा के लिए।