आजकल भारत की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए बार-बार रामराज्य शब्द का प्रयोग क्यों होता है? बीजेपी और संघ के प्रवक्ताओं तथा हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस शब्द का इतना व्यापक प्रचार हुआ है कि वामपंथी, समाजवादी बुद्धिजीवियों के विमर्श से लेकर आम जनता की जबान में पूरी शासन व्यवस्था के लिए रामराज्य शब्द का चलन हो गया है।

ऐसा लगता है कि बहुत ही महीन तरीक़े से लोगों के दिमाग़ में यह बिठाने की कोशिश की जा रही है कि रामराज्य एक ईश्वरीय व्यवस्था है। प्रधानमंत्री मोदी और योगी एक तरह से ईश्वर के प्रतिनिधि हैं। इसलिए इनसे ग़लती नहीं हो सकती है। यह भी कहा जा सकता है कि यह आपदा ईश्वरीय विधान है।
वस्तुतः रामराज्य को एक आदर्शलोक के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जा रहा है। सवाल यह है कि आख़िर एक लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्था के लिए रामराज्य जैसे मिथकीय मुहावरे को चस्पाँ करने का औचित्य क्या है? दरअसल, हिंदुत्ववादी अपनी वैचारिकी को पोसने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। 

























