"निस्संदेह स्वतंत्रता एक आनंद का विषय है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता ने हम पर बहुत जिम्मेदारियां डाल दी हैं। स्वतंत्रता के बाद कोई भी चीज गलत होने पर ब्रिटिश लोगों को दोष देने का बहाना समाप्त हो गया है। अब यदि कुछ गलत होता है तो हम किसी और को नहीं स्वयं को ही दोषी ठहरा सकेंगे।" -डॉ. आंबेडकर

"भारत में जातियां हैं। जातियां राष्ट्र विरोधी हैं।" क्योंकि ये परस्पर विद्वेष और बैर भाव पैदा करती हैं। इसीलिए बाबा साहब कहते हैं कि भारत राष्ट्र बनने की ओर है। एक राष्ट्र के लिए आंबेडकर स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को अपरिहार्य मानते हैं।
देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अंग्रेजों के आधिपत्य से मुक्त हुए 75 साल हो गए। आजादी के आंदोलन में कुछ सपने देखे गए थे। जाहिर तौर पर उन सपनों को बुनने के लिए संविधान बनाया गया। इसका दायित्व बाबा साहब आंबेडकर को मिला। उन्होंने स्वीकार किया कि दलित वंचित समाज के हितों के संरक्षण के लिए वे संविधान सभा में आए।
लेकिन जब उन्हें प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया तो समूचे भारतीय समाज के अधिकारों के संरक्षण की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।
लेकिन जब उन्हें प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया तो समूचे भारतीय समाज के अधिकारों के संरक्षण की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।