भीमा कोरेगांव का विजय स्मारक आज दलित स्वाभिमान और शौर्य का प्रतीक है। प्रतिवर्ष 1 जनवरी को पूरे देश से दलित यहां पहुंचकर पेशवा के ख़िलाफ़ महारों की वीरता और शौर्य का जश्न मनाते हैं। भीमा कोरेगांव सदियों तक होने वाले दलितों के दमन के प्रतिशोध का प्रतीक बन गया है। 1 जनवरी, 1818 को अंग्रेजों की तरफ से लड़ते हुए महार रेजीमेंट के सैनिकों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की भारी-भरकम फौज को परास्त किया था।