आज से लगभग आठ दशक पहले ठीक इन्हीं दिनों नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे, वी. आर. कड़कड़े, मदनलाल पाहवा, गोपाल गोडसे, शंकर किष्टैया, दत्तात्रेय परचुरे, दिगंबर बडगे (वायदा माफ़ गवाह), गंगाधर दंडवते (फ़रार), गंगाधर जाधव (फ़रार), सूर्यदेव शर्मा (फ़रार) और विनायक दामोदर सावरकर (सबूत के अभाव में बरी) जैसे हिंदुत्व-समर्थक षडयंत्रकारी हत्यारों ने महात्मा गाँधी को रास्ते से हटाने की व्यूह रचना कर ली थी। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गाँधी के पैर छूने के बहाने उनकी हत्या कर दी. इस घटना के 75 बरस बीत जाने के बाद भी गोडसे-सावरकर की विचार संततियों में गाँधी के प्रति घृणा गहरी होती चली गई है. ये लेख मैंने 22 जनवरी 2017 को लिखा था.
हत्या के 75 साल बाद भी गाँधी से इतना ख़ौफ?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

महात्मा गांधी
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजेश जोशी ने 2017 में यह लेख लिखा था। गांधी की हत्या को 75 साल हो चुके हैं लेकिन एक वर्ग या एक विचारधारा उनसे आज भी डरी हुई लगती है। उनका यह लेख आज भी प्रासंगिक है। जरूर पढ़ियेः