क्या दिल्ली की सरहदों पर चल रहा किसानों का आंदोलन मोदी सरकार की ‘अन्ना घड़ी’ है? मूलतः गैर राजनीतिक बने रहने की ज़िद के बावजूद मोदी सरकार पर किसान आंदोलन के क्या वैसे ही प्रभाव होंगे जैसे अन्ना आंदोलन के मनमोहन सरकार पर पड़े थे जो ख़ुद को गैर राजनीतिक ही मानता था? या किसी लोकतांत्रिक देश में कोई भी आंदोलन अपनी ज़िद के बावजूद गैर राजनीतिक रह सकता है? क्या उसके अपने राजनीतिक फलितार्थ नहीं होने लगते हैं?
सरकार की नींव हिला पायेगा किसान आंदोलन?
- विचार
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- 24 Dec, 2020


2011 में जब अन्ना आंदोलन शुरू हुआ तो सरकार तय नहीं कर पा रही थी कि वह इससे कैसे निपटे।
इन सवालों के जवाब आसान नहीं हैं। लेकिन कुछ समानताएं ध्यान खींचती हैं। 2011 के अन्ना आंदोलन से पहले यूपीए सरकार बहुत मज़बूत दिखाई पड़ रही थी। 2004 के बाद 2009 का लोकसभा चुनाव उसने जीता ही नहीं था, बल्कि अपनी ताकत भी बढ़ाई थी।


























