13 दिसम्बर, 2021 के दिन को ऐतिहासिक बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अपने असंख्य हिंदू भक्तों को समर्पित कर दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, "विश्वनाथ धाम का यह नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। यह प्रतीक है हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। यह प्रतीक है हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। यह प्रतीक है भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का। भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का।"
काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर से हिंदू राष्ट्र का उदय?
- विचार
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- 18 Dec, 2021

देश के नागरिकों में अब यह जिज्ञासा प्रबल हो जाना चाहिए कि वे अपने प्रधानमंत्री को किस तरह के भारत-निर्माता के रूप में याद करना और उनके शासनकाल में पुनर्लिखित किस तरह के इतिहास को अपनी आगे आने वाली पीढ़ियों के हाथों में सौंपना चाहेंगे!
कोई पाँच दशक पहले (22 अक्टूबर, 1963) ,देश के प्रथम प्रधानमंत्री और ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ के रचनाकार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब में सतलुज नदी पर निर्मित भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा था, "मेरी आँखों के सामने एक नमूना हो जाता है ये काम, सारे हिंदुस्तान के बढ़ने का, हिंदुस्तान की एकता का। आप इसे एक मंदिर भी पुकार सकते हैं या एक गुरुद्वारा भी या एक मसजिद।"
लगभग 284 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित तब के इस सबसे बड़े बांध के पूरा होने के पहले नेहरू तेरह बार निर्माण-स्थल पर गए थे।