भारत के संविधान का अनुच्छेद 324 (1) चुनाव आयोग को चुनाव संचालन के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण के निर्बाध अधिकार देता है। लेकिन संस्थाओं की शक्ति क़ानून के शब्दों से नहीं, बल्कि उनके प्रयोग से मिलती है। वही क़ानून अगर सही प्रयोग हो तो संस्थाओं की उपादेयता और समाज में उसका सम्मान कई गुना बढ़ जाता है।
क्यों जनता की नज़र में गिरता जा रहा है चुनाव आयोग?
- विचार
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- 18 Apr, 2021

क्या आज के चुनाव आयोग में शेषन जैसी हिम्मत है? शायद नहीं, क्योंकि उस समय तक मोदी और अमित शाह की जगह अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी हुआ करते थे और राजनीति में कुछ परदे अभी भी बचे थे।
सुप्रीम कोर्ट तक ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कहा कि वह अपनी टी. एन. शेषन काल वाली गरिमा फिर से हासिल नहीं कर सकता। दरअसल दो साल पहले आयोग ने इस कोर्ट में कहा कि 'वह एक दंतहीन शेर की मानिंद है'।