उस महिला ने अपनी बंदूक़ मेरी तरफ़ तान दी और चिल्लाई- 'मैं तुमको गोली मार दूँगी।' मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या हुआ। वो चीख़ रही थी 'तुमने मेरे कंपाउंड में ट्रेसपास किया' (तुम बिना अनुमति मेरे हाते में आए)। मैं बार-बार माफ़ी माँग रहा था लेकिन उसका ग़ुस्सा कम नहीं हो रहा था। वो बार-बार मेरी तरफ़ अपनी बंदूक़ तान देती थी। इस बीच मेरी बेटी ने यह नज़ारा थोड़ी दूर से देखा और लगभग चीख़ते हुए बोली, ‘पापा भाग कर जल्दी से उसके गेट से बाहर आ जाओ।’ मैं तेज़ चलता हुआ गेट के बाहर भागा। इस बीच मेरा दामाद, जो व्हाइट अमेरिकन है, उसके पास पहुँच गया और उसे बताने लगा कि हम वहाँ क्यों आये थे।