कोविड-19 को रोकने के लिए की गई देशबंदी (लॉकडाउन) के बाद भारत में मज़दूरों की समस्या भयावह रूप से सामने आ गई है। पूरी दुनिया में लॉकडाउन किए गए, लेकिन कोई भी ऐसा देश नहीं है, जहाँ इतनी बड़ी संख्या में मज़दूरों को सड़क पर भूख से बिलखना पड़ा हो और सैकड़ों किलोमीटर लंबी यात्रा करनी पड़ी हो। इस बीच औद्योगिक घराने चिंतित हैं कि श्रमिक वापस न लौटे तो काम कैसे शुरू होगा। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे।
अपने राज्य में श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा क्यों नहीं दे रहे योगी आदित्यनाथ?
- विचार
- |
- |
- 27 May, 2020

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे। क्या वह सच में मज़दूरों के लिए चिंतित हैं?
मज़दूरों की समस्या नई नहीं है। समय-समय पर यह ख़बरें आती रही हैं कि वे महानगरों में कितनी ख़राब परिस्थितियों में जीने के लिए विवश हैं। देशबंदी के दो दिन के भीतर ही महानगरों में मज़दूरों के घाव का यह मवाद सड़कों पर बहने लगा जिसे पूरी दुनिया ने देखा। उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ गुजरात से ट्रेनों से क़रीब 7 लाख विस्थापित मज़दूर आए हैं। पैदल चलकर आने वालों या अन्य राज्यों से आने वालों की गिनती अभी बाक़ी है। इस बीच योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि यूपी लौटकर आए हर कामगार को राज्य में काम दिया जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि कामगारों व श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाले पर ही अन्य राज्यों को ज़रूरत के मुताबिक़ मैनपॉवर मुहैया कराया जाएगा।