“जनहित याचिकाएँ सरकार के विरोधियों और सिविल सोसाइटी के लोगों का एक औज़ार बनती जा रही हैं, जिसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है।” यह कहना है देश के सर्वोच्च न्यायालय का, जिसका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट जनहित के मामलों में सर्वोच्च संस्था नहीं बन सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी देते हुए कही।
सुप्रीम कोर्ट को क्यों खटकने लगीं जनहित याचिकाएँ!
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- 29 Mar, 2025


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने कहा कि जनहित याचिका के नाम पर अदालतों का समय सरकार से असहमति रखने वाले ग्रुप और सिविल सोसाइटी के लिए बर्बाद नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने कहा कि जनहित याचिका के नाम पर अदालतों का समय सरकार से असहमति रखने वाले ग्रुप और सिविल सोसाइटी के लिए बर्बाद नहीं किया जा सकता। करीब 20 हज़ार करोड़ की लागत वाले सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के ख़िलाफ़ कई याचिकाँ सुप्रीम कोर्ट में डालकर आरोप लगाया गया था कि इसके पहले दिल्ली डेवलेपमेंट एक्ट के प्रावधानों की अवहेलना की गयी है।





















