पुलवामा में आतंकी हमले के बाद देश भर में मातम है। हर तरफ़ शोक का माहौल है। दुख की इस घड़ी में कांग्रेस ने सुरक्षाबलों और सरकार के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही कांग्रेस यह भी मानती है कि हाल के वर्षों में यह अपनी तरह का अनोखा और सबसे बड़ा आतंकी हमला है, जिसमें इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए हैं। इसके लिए कांग्रेस सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ केंद्र सरकार को पूरी तरह ज़िम्मेदार मानती है।
पुलवामा हमला: आंतरिक सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाएगी कांग्रेस?
- राजनीति
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- 17 Feb, 2019

पुलवामा में आतंकी हमले के बाद देश में मातम है। दुख की इस घड़ी में कांग्रेस ने सुरक्षाबलों और सरकार के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन आंतरिक सुरक्षा के मसले का क्या?
आतंकी हमले की इन्हीं परिस्थितियों में कांग्रेस आने वाले चुनाव में आंतरिक सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बनाने की फिराक़ में है। कांग्रेस ठीक उसी तरह से मुद्दा बना सकती है जैसे 2014 में बीजेपी नेताओं ने एक के बदले 10 सर लाने की बात करके पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जनता के ग़ुस्से को अपने पक्ष में भुनाया था।
- इस आतंकी हमले के बाद देशभर में केंद्र सरकार ख़ासकर पीएम मोदी के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा है। यह ठीक उसी तरह है जैसे 2013 में हेमराज के सर काटे जाने की घटना के बाद यूपीए सरकार और तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ख़िलाफ़ था। कांग्रेस अब ग़ुस्से को अपने पक्ष में भुनाने की रणनीति बनाने में जुट गई है।
राय बनाने के लिए बैठक की
इस मुद्दे पर शुक्रवार को यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी ने कांग्रेस कोर ग्रुप की एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी और संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल समेत कई बड़े नेताओं ने शिरकत की। बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया कि देश की आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस को अपनी राय कैसे जनता के सामने रखनी चाहिए। संकेत मिले हैं कि बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई है कि अगर इस घटना के बाद बीजेपी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोई कड़ा कदम उठाती है तो उसे चुनावी फ़ायदा होगा तो उसकी काट कांग्रेस कैसे करे।