मणिपुर में शांति बहाली की राह क्या इतनी आसान है? आख़िर आगजनी और मुठभेड़ की ख़बरें क्यों आ रही हैं? मणिपुर के सेरोऊ इलाके में सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के एक समूह के बीच 5-6 जून की दरमियानी रात हुई गोलीबारी में असम राइफल्स के दो जवान घायल हो गए। एक जवान शहीद हो गया। इसके साथ ही मणिपुर के काकचिंग जिले के सुगनू में ग्रामीणों ने एक खाली हुए शिविर में आग लगा दी। इस शिविर में यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट यानी यूकेएलएफ के उग्रवादियों ने शरण ली थी। यह अकेला शिविर नहीं है जिसमें आगजनी की घटना हुई है। ग्रामीणों का यह हमला तब हुआ है जब काकचिंग जिले के सुगनू में कांग्रेस विधायक के रंजीत के घर सहित क़रीब 100 खाली पड़े घरों को जलाने की घटना हुई थी। खाली घर इसलिए हैं क्योंकि हिंसा के दौरान लोग घरों को खाली कर राहत शिविरों या सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं।
मणिपुर हिंसा: शांति प्रयासों के बीच घरों में आगजनी, मुठभेड़ क्यों?
- राज्य
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- 6 Jun, 2023
मणिपुर में केंद्र सरकार के हाल के शांति के प्रयासों के बीच हिंसा रुकी है, तो फिर अब खाली पड़े राहत शिविरों को क्यों जलाया जा रहा है? विद्रोहियों के हमले क्यों हो रहे हैं?

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ करीब 48 घंटे तक उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार गोलीबारी होती रही। बता दें कि मणिपुर में हाल ही में हुई जातीय हिंसा में 98 लोगों की मौत हो गई है और क़रीब 310 अन्य घायल हो गए हैं। रिपोर्ट है कि फिलहाल 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी।