चीन ने अरूणाचल प्रदेश के उस भारतीय नागरिक को लौटा दिया है, जिसके अपहरण का आरोप चीन की सेना पर लगा था। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने और क्या कहा, जानिए पूरी बात।
चीन के साथ सीमा विवाद का मसला फिर से सुर्खियों में क्यों है? चीन ने सीमा क्षेत्र में जगहों के नाम क्यों बदले हैं? क्या चीन लद्दाख के बाद अरुणाचल क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने मे जुटा है?
भारत और चीन के बीच 12वें दौर की बातचीत के बाद पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गोगरा से दोनों देश के सैनिक डिसइंगेज हो गए हैं यानी पीछे हट गए हैं। सरकार ने कहा है कि इस क्षेत्र में बनाए गए अस्थायी ढाँचे ढहा दिए गए हैं।
गलवान घाटी में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद 6–7 महीनों तक देश के साथ पूरा विश्व दम साधे किसी अनहोनी की आशंका में डूबा रहा था। अब दोनों ने पीछे हटने का फ़ैसला किया।
दसवें दौर की बैठक महत्वपूर्ण तो है लेकिन इस चिंताजनक सवाल के साये में भी है कि क्या भारत ने पैंगौंग के दक्षिण में अपनी उस मजबूत पोजिशन को छोड़ दिया है जिसे पिछले साल अगस्त के महीने में सैनिकों ने बहादुरी से हासिल किया था?
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि चीन के केंद्रीय मिलिट्री कमीशन ने इस बात को माना है कि गलवान में भारत के साथ हुई मुठभेड़ में कराकोरम पहाड़ियों में उसके फ्रंटियर अफ़सर और सिपाही मारे गए थे।
चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर डिसइंगेजमेंट पर इतने सवाल खड़े हुए कि अब रक्षा मंत्रालय को फिर से सफ़ाई देनी पड़ी है। इसने कहा है कि समझौते में भारत ने कोई भी क्षेत्र नहीं खोया है।
भारत के परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह के यह कहने कि “अगर चीन ने लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का 10 बार उल्लंघन किया है तो भारत ने कम से कम ऐसा 50 बार किया होगा”, इस पर चीन ने प्रतिक्रिया दी है।
छह महीने से अधिक वक़्त तक पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में भारतीय सेनाओं के साथ तनातनी के बाद चीनी सेना अब पीछे लौटेने को तैयार हो गई है। टकराव के सभी सीमांत इलाकों से दोनों देशों के सेनिक पीछे हट जाएंगे।