तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी सीएए को फिर चर्चा के केंद्र में ले आई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सीएए कानून देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ है। उसने इसे तमिल रिफ्यूजियों से जोड़ते हुए मोदी सरकार और एआईएडीएमके के स्टैंड पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठा दिया है। पेश है तथ्यात्मक विश्लेषणः