सुप्रीम कोर्ट जाकर अपने लिए खास परमिशन ले आए कि लॉकडाउन न लगाना पड़े। लेकिन हारकर आख़िरकार उन्हें भी लॉकडाउन ही आख़िरी रास्ता दिखता है, कोरोना के बढ़ते कहर को थामने का। महाराष्ट्र ने कड़ाई बरती तो फायदा भी दिख रहा है।
पिछले साल आई कोरोना महामारी ने लोगों की जानें ही नहीं लीं, ग़रीबों को और ग़रीब ही नहीं किया, बल्कि बड़े स्तर पर मध्य वर्ग को भी प्रभावित किया है। प्यू रिसर्च के अनुसार महामारी ने भारत में 3 करोड़ 20 लाख लोगों को मध्य वर्ग से दूर कर दिया।
क्या मोदी सरकार हर मोहरे पर फेल साबित हो रही है? महीनों भर से जहाँ किसान आंदोलन जारी है तो अब युवा नौकरी नहीं मिलने से परेशान हैं. वो हफ्ते भर से सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर पीएम मोदी से रोज़गार माँग रहे हैं.आज इसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी। Satya Hindi
सवाल है कि सरकार ने रोज़गार के मौके बनाने के मामले में क्या किया है, वह कितनी कामयाब रही है और कितनी नाकाम। प्रधानमंत्री और बीजेपी भले ही वायदा पूरा न कर सके हों, पर क्या उन्होंने इसकी कोई ईमानदार कोशिश भी की या यह एक और ज़ुमला था?
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने ट्रेंड कराया ‘मोदी जॉब दो’ । नवदीप कौर केस में सह आरोपी शिव को दो फ्रैक्चर हैं: रिपोर्ट
अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत लेकिन क्यों नहीं बढ़ेगा रोज़गार? सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी। मध्यप्रदेश में झड़प के एक दिन बाद ही घर क्यों ढहाए गए? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण। Satya Hindi
बेरोज़गारी के जो नये आँकडे आये हैं वो और भी बड़े संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। लॉकडाउन ख़त्म होने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुरुआती संकेत मिलने के बावजूद दिसंबर में बेरोज़गारी की दर पिछले छह महीनों में सबसे ऊपर दर्ज की गई।
कैसे बेरोज़ागीर से जुड़ गया बिहार का नाम? मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था को समझने के लिए लोग ही नहीं? और नोटबंदी की तारीफ़ करने का किसको मिला इनाम? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की जाने माने अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से खास बातचीत।
सितंबर महीने में महंगाई यानी मुद्रास्फीति की जो दर 7.34 फीसदी के रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई थी उसका सबसे बड़ा कारण था खाद्य वस्तुओं यानी खाने-पीने के जरूरी सामान का महंगा हो जाना।
5 अप्रैल 2020 और 9 सितंबर 2020 की दो तारीख़ें ऐतिहासिक रहीं और रहेंगी। दोनों ही अवसरों पर रात 9 बजकर 9 मिनट पर समान तरह का एक्शन देखने को मिला। 9 सितंबर को बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुआ।
आज पाँच बजे शाम पूरे देश में बेरोज़गार युवाओं ने सरकार के कान तक अपनी बात पहुँचाने के लिये थालियाँ बजाईं । उन्होंने एक घंटे तक ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया और बात सरकार के कान में पहुँच भी गई यह संकेत भी मिला पर मीडिया ज़रा भी न हिला , क्यों ? बता रहे हैं शीतल पी सिंह
सिर्फ़ 40 दिन में 69 लाख लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन दिया। बेरोज़गारी के भयावह संकट के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने 11 जुलाई को ही इस पोर्टल को लॉन्च किया है।