टीसीएस हैदराबाद में बतौर इंजीनीयर कार्यरत 32 वर्षीय मनु तनेजा को कोरोना काल में उपजे लॉकडाउन ने वर्क फ्रॉम होम का तोहफा दे दिया। मनु के लिए यह हरियाणा की कहावत ‘बिल्ली के भागों छींका टूटा’ के चरितार्थ होने से कुछ कम तो नहीं था। मनु को वर्क फ्रॉम होम का स्वाद कंपनी द्वारा नॉर्वे पोस्टिंग में लग गया था। पर हिंदुस्तान और नॉर्वे में जो अंतर है उसके कई कारण हैं जिन्हें मनु समझ पाए।
तकनीक ने असमानता की खाई को पाटा या खोदा?
- विविध
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- 1 Jan, 2021

तकनीक ने कोरोना महामारी से उपजे लॉकडाउन में समाज के अलग-अलग वर्गों पर अनुकूल व प्रतिकूल असर डाला है। क्या इसने असमानता की खाई को खोदा है?
बहरहाल, तकनीक ने इस लॉकडाउन में पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला है या यूँ कहें कि शायद ही कोई वर्ग अब तकनीक से प्रभावित हुए बिना बचा है। भारत के संदर्भ में इस बदलाव को कई कसौटियों पर कस के देखा जा सकता है।
विविधताओं से भरे भारत देश में सामाजिक विविधता घर की दहलीज पार करने भर में दिख जाती है, जाहिर है तकनीक ने भी घर की दीवार या बिना दीवार के घर पर असर दीवार की मज़बूती के मुताबिक़ ही डाला है। लॉकडाउन में बच्चों के स्कूल से लेकर युवाओं के कॉलेज और दफ्तर बेशक बंद हो गए पर ज़ूम मीटिंग ऐप, गूगल मीट और अन्य तकनीकी सुविधाओं ने आभासी दुनिया को पटल पर ला कर एक क्रांति का ही आगाज कर दिया।