“मेरी नीति साधारण स्तर की है जबकि स्थितियाँ असाधारण हैं।” नीतिज्ञ माने जानेवाले विदुर अपनी सीमा स्वीकार करते हैं। वे विदुर धर्मवीर भारती के ‘अंधा युग’ के पात्र हैं। इसी तरह कहा जा सकता है कि घटनाओं का वर्णन और उनकी व्याख्या के हमारे साधन और उपकरण नितांत अपर्याप्त हो चुके हैं या नाकारा हैं क्योंकि जो दीखता है, उससे कहीं अधिक वह है जो नहीं दीखता। इस सरकार के समर्थक भी अचंभित हैं कि उस जन रोष की विराटता को देखते हुए भी जो किसान आन्दोलन की शक्ल में भारत के अलग अलग हिस्सों में उमड़-घुमड़ रहा है, क्यों सरकार उसके दमन पर आमादा है!
हिंसा का सामना करने के लिए किसानों को अकेला छोड़ दें?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 8 Feb, 2021
अंबानी और अडानी के अलावा जिनकी लार भारतीय खेती पर टपक रही है, वे हैं अमेज़न, वॉलमार्ट, फ़ेसबुक, कारगिल, आर्चर डेनियल्स मिडलैंड्स, लुई ड्रायफस, गूगल, बुंगे जैसी कंपनियाँ। इनके भारतीय सहयोगी अडानी और अंबानी हैं। भारत के सबसे अमीर और छठे सबसे धनी कॉरपोरेट नाम। ये सब भारत में भारी निवेश कर रहे हैं।
क्यों सरकार ढिठाई से बिना पलक झपकाए उस सदन में झूठ बोल रही है, जहाँ संसद को गुमराह करना जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार का हनन है? क्यों वह आज कह पाई कि कृषि संबंधी क़ानूनों से सिर्फ एक राज्य में परेशानी है जबकि शासक दल के गढ़ उत्तर प्रदेश में इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ गाँव- गाँव में जन सैलाब उमड़ रहा है? उसके अपने राज्य हरियाणा में उसके मंत्रियों और नेताओं का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, क्योंकि वे जनता का सामना नहीं कर सकते?