आज़ादी के 75 साल बाद भारत विकास और खोये हुए अवसरों का मिश्रित पुलिंदा है। आजादी के बाद देश ने बहुत कुछ हासिल किया है लेकिन एक विकसित समाज बनने के लिए बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है। महामारी ने भारत की कमियों को स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया है। अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 90% श्रमिकों ने लॉकडाउन के दौरान कहा कि उनके पास एक सप्ताह का आवश्यक सामान खरीदने के लिए पर्याप्त बचत नहीं है। इसके कारण लाखों-करोड़ों लोगों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, शहरों से गांव की ओर, भोजन और जीवित रहने की उम्मीद में।
75 साल में भारत की अर्थव्यवस्था क्यों नहीं तेज़ी से बढ़ पायी?
- विश्लेषण
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- 23 Aug, 2022

भारतीय अर्थव्यवस्था 75 साल में कहाँ पहुँची? `किसी भी कीमत पर विकास’ की रणनीति ने देश का क्या हाल किया है? विमुद्रीकरण, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और अचानक तालाबंदी से कैसा असर हुआ?
आम तौर पर, संगठित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्रों, फार्मास्यूटिकल्स और कुछ उत्पादक आवश्यक वस्तुओं ने महामारी के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए, अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अच्छा करता दिख रहा है, लेकिन आय की सीढ़ी के निचले स्तर पर कम से कम 60% लोगों की आय में गिरावट आई है (प्राइस सर्वेक्षण, 2022)। अर्थव्यवस्था के असंगठित और संगठित हिस्सों के बीच की खाई बढ़ रही है। इन परिस्थितियों की पृष्ठभूमि संक्षेप में नीचे प्रस्तुत की गई है।