उत्तर भारत में 2019 में लोकसभा सीटों के नुक़सान की भरपाई पूर्वोत्तर राज्यों से करने की बीजेपी की मंशा पर पानी फिर सकता है। नागरिकता विधेयक को लेकर बीजेपी के एक धड़े और समर्थक दलों में काफ़ी आक्रोश है और यह आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर असम गण परिषद के अलावा पूर्वोत्तर के 10 समर्थक राजनीतिक दलों ने नागरिकता विधेयक का जमकर विरोध करने का एलान किया है, हालाँकि अभी वे एनडीए में बने रहेंगे।
क्या नागरिकता बिल से बीजेपी को होगा लोकसभा सीटों का नुक़सान?
- असम
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- 31 Jan, 2019
नागरिकता विधेयक को लेकर असम गण परिषद के अलावा पूर्वोत्तर के 10 समर्थक राजनीतिक दलों ने नागरिकता विधेयक का जम कर विरोध करने का एलान किया है।

इस बीच नगालैंड सरकार ने भी नागरिकता विधेयक का विरोध किया है। एनडीए शासित राज्यों में नगालैंड ऐसा तीसरा राज्य है जिसने खुले तौर पर बीजेपी के इस विधेयक का विरोध किया है। इससे पहले मिज़ोरम और मेघालय की सरकारें पहले ही विरोध कर चुकी हैं। त्रिपुरा में बीजेपी के ही एक बड़े आदिवासी नेता ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
राष्ट्रपति से लगाएँगे गुहार
गुवाहाटी में मंगलवार को हुई इन दलों की संयुक्त बैठक में शीघ्र ही इस विधेयक को रद्द करने की माँग पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से गुहार लगाने का फ़ैसला किया गया है। पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के सम्मेलन में भाग लेने के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनरैड संगमा ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र के नागरिकों की भावना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ही इस सम्मेलन का आयोजन हुआ है। इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं छुपा हुआ है। सम्मेलन में पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी क्षेत्रीय पार्टियों ने इस विधेयक के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ने का फ़ैसला किया है।'