राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के साथ ही अराजकता का माहौल दिख रहा है। जहाँ सूची में नाम न रहनेवाले व्यक्ति आतंकित हैं, वहीं सरकार की इस पर कोई साफ़ नीति नहीं बनी हुई दिख रही है। सिर्फ़ सरकार यह आश्वासन दे रही है कि सूची में नाम न रहनेवाले विदेशी नहीं होंगे, इन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा और न ही इनके अधिकारों में कोई कटौती होगी। साथ ही ये 120 दिनों के अंदर विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं। गृह मंत्रालय ने तो यहाँ तक कह दिया है कि असम में 200 नए न्यायाधिकरणों ने 2 सितंबर से काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन जब 120 दिन पूरे हो जाएँगे तो क्या होगा? क्या सरकार स्थिति संभाल पाएगी? क्या सरकार ने पूरी व्यवस्था बनाई है? इन सबसे हक़ीकत कुछ अलग ही है।