सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में बाबरी मसजिद की जमीन केंद्र सरकार को सौंपते हुए आदेश दिया था कि सरकार एक ट्रस्ट बनाए और ट्रस्ट मंदिर का निर्माण करेगा।  पीएमओ से गृह मंत्रालय को निर्देश मिला कि एक अलग डेस्क बनाकर इस काम को युद्धस्तर पर किया जाए। गृह मंत्रालय में जब डेस्क बनी तो इसमें तीन आईएएस अधिकारी शामिल थे लेकिन इस डेस्क और टीम का नेतृत्व अडिशनल सेक्रेटरी ज्ञानेश कुमार करेंगे। बाद में ज्ञानेश कुमार ने पूरे ट्रस्ट का खाका तैयार किया। उनकी विशेषज्ञता यही है कि उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट बनाते समय इसका नियंत्रण अप्रत्यक्ष रूप से पीएम के सबसे विश्वस्त नौकरशाह के हाथ में रखा। नृपेंद्र मिश्रा पीएम मोदी के प्रधान सचिव रहे थे। पीएमओ का काम भी मिश्रा ही संभाल रहे थे। ऐसे में ज्ञानेश कुमार ने मिश्रा को राम मंदिर निर्माण समिति का चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव तैयार किया, जिसे सरकार ने फौरन स्वीकार कर लिया। बहुत ध्यान से देखें तो इन सारी नियुक्तियों की कड़ियां आपस में जुड़ी हुई हैं।