कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के लगभग चार हफ़्ते बाद भी हालात सामान्य नहीं हो सके हैं। घाटी से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं, सड़कों पर सार्वजनिक वाहन नहीं हैं और लोगों को दवाइयाँ नहीं मिल पा रही हैं। इसके अलावा कुछ जगहों पर सिर्फ़ लैंडलाइन फ़ोन चालू हैं, मोबाइल सेवा बंद है, इंटरनेट बंद है, स्कूल खुले हैं, लेकिन बच्चों की उपस्थिति लगभग शून्य है? और इस सबके बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल का दावा है कि हालात पूरी तरह सामान्य हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या ऐसे हालात को सामान्य कहा जा सकता है।

अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के 25 दिन बाद भी कश्मीर में स्कूलों में बच्चे नहीं आ रहे हैं। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, श्रीनगर के जेके पब्लिक स्कूल में जब एक अभिभावक स्कूल के ऑफ़िस के इंचार्ज उमर फ़ारुक़ से पूछते हैं कि क्या स्कूल की ओर से बच्चों के लिए कोई असाइनमेंट तैयार किया गया है तो फ़ारुक़ कहते हैं कि वह कुछ दिन बाद आएँ। फ़ारुक़ कहते हैं कि अभी स्कूल की ओर से टीचर्स से बात करने की या उन तक पहुँचने की कोशिश की जा रही है।