पार्टी नेताओं के बीच खींचतान-तनातनी, तू-तू, मैं-मैं और ज़बरदस्त गुटबाज़ी की वजह से कांग्रेस पार्टी को केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में जीत नहीं मिल पायी है।
तरह-तरह के आरोपों से घिरे और कई तरह के संकटों का सामना कर रहे वाम लोकतांत्रिक मोर्चा यानी लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट (एलडीएफ़) ने केरल के स्थानीय निकायों के चुनाव में तमाम अनुमानों के उलट ज़ोरदार जीत दर्ज की है।
केरल के विधानसभा चुनाव में महज 6 महीने का वक़्त बचा है। ऐसे में बीजेपी मुसलिम-ईसाई समुदाय की इस सोशल इंजीनियरिंग और हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से अपनी सियासी ज़मीन को पुख़्ता करने की कोशिश में है।
सोने की तस्करी के मामले में बुरी तरह से उलझी वाम मोर्चा सरकार अब संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई से राजनयिक रास्ते से पवित्र कुरान और खजूर मँगवाने को लेकर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है।
केरल में विधानसभा चुनाव होने तक वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के बीच किसी भी स्तर पर ‘दोस्ती’ नहीं रहेगी और दोनों एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी की तरह बर्ताव करेंगे।
केरल में लोगों ने एक गर्भवती हथिनी को ऐसे अनानास खाने के लिए दिए, जिनमें पटाखे भरे हुए थे। पटाखे हथिनी के मुंह में फट गए और उसकी और उसके बच्चे की मौत हो गई।
देश में कोरोना संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल में आया था और यही पहला राज्य था जिसने इस पर नियंत्रण भी पा लिया था, लेकिन अब वहाँ सामुदायिक संक्रमण का ख़तरा मंडराने लगा है। आख़िर ऐसी स्थिति क्यों हो गई?