हर साल की तरह इस बार भी 1 जनवरी के क़रीब आते ही भीमा कोरेगाँव में गतिविधियाँ तेज़ हो गयी हैं। यल्गार परिषद में शामिल होने वाले लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए मामले वापस लेने तथा गिरफ्तार लोगों की रिहाई के लिए पूर्व न्यायाधीश बी. जी. कोलसे पाटिल के नेतृत्व में 27 दिसंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में आंदोलन शुरू किया जा रहा है। वहीं पुणे पुलिस ने इस मामले में मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे समेत 163 लोगों को नोटिस जारी किया है। संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे के ज़िला प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी 1 जनवरी को भीमा-कोरेगाँव लड़ाई की 202वीं वर्षगाँठ और भीमा कोरेगाँव हिंसा की दूसरी वर्षगाँठ के सिलसिले में लगायी गयी है। इसको लेकर पुलिस ने कहा है कि ये क़दम सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाये गए हैं।
भीमा कोरेगाँव: संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे पर कसा शिकंजा
- महाराष्ट्र
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- 25 Dec, 2019

हर साल की तरह इस बार भी 1 जनवरी के क़रीब आते ही भीमा कोरेगाँव में गतिविधियाँ तेज़ हो गयी हैं।
लेकिन सवाल है कि सुरक्षा और एहतियात के यही क़दम उस समय क्यों नहीं उठाये गए, जब 31 दिसंबर, 2017 को इस कार्यक्रम का 200वाँ विशेष जलसा था?