देश के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी प्रदेश के राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं, इससे पहले भी कई राज्यों में राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल उठे हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जब महामहिमों का विवेक लोकतंत्र को चोटिल होने से नहीं बचा पाया। गोवा, मेघालय, मणिपुर, कर्नाटक के ताजा उदाहरणों में अब एक नाम और जुड़ गया है महाराष्ट्र का।
क्या सुप्रीम कोर्ट को निर्धारित करना चाहिए राज्यपालों के स्व-विवेक का दायरा?
- महाराष्ट्र
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- 25 Nov, 2019

देश के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी प्रदेश के राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं।