भारतीय संविधान के जनक, समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, दलितों के मसीहा, महान राजनीतिज्ञ भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के नाम से पहले जितने भी अलंकार सम्मिलित किये जाते हैं शायद ही दुनिया में किसी अन्य व्यक्ति के नाम के साथ जोड़े जाते हों। इसी बात से उनके कद का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आंबेडकर के सुझाए कृषि सुधारों को अपनाएं सरकारें
- विचार
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- 7 Dec, 2020

आंबेडकर भूमि, शिक्षा, बीमा उद्योग, बैंक आदि का राष्ट्रीयकरण चाहते थे ताकि न कोई जमींदार रहे, न पट्टेदार और न ही कोई भूमिहीन।
उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर सभी ने उन्हें याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। लेकिन इस मौके पर यह सवाल पूछना चाहिये कि क्या वाकई दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हम सभी नागरिकों को बराबर दृष्टि से देख पाए हैं और संविधान को सभी जाति, वर्ग, समुदाय, लिंग के हिसाब से पूर्ण रूप में लागू कर पाए हैं? शायद नहीं।
दिल्ली में किसान आंदोलन
ऐसा अभी तक नहीं हो पाया क्योंकि अगर ऐसा होता तो समय-समय पर सरकारों के विरुद्ध जन आंदोलन न होते और सरकारों के प्रति सड़कों पर जन समूहों में रोष न दिखाई देता। ऐसा ही एक आंदोलन बीते 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डटे लाखों किसान कर रहे हैं।