पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बनी और 2019 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के क्रियेटिव डायरेक्टर हंसल मेहता ने मान लिया है कि यह फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए बनायी गयी थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मशहूर पत्रकार वीर सांघवी की इस टिप्पणी को सौ फ़ीसदी से ज़्यादा सही बताया है कि “यह फ़िल्म ‘झूठ’ पर आधारित अब तक बनी सबसे ख़राब हिंदी फ़िल्मों में से एक है। यह फ़िल्म उदाहरण है कि कैसे किसी शरीफ़ आदमी को बदनाम करने के लिए मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है।” फ़िल्म में मनमोहन सिंह की भूमिका निभाने वाले और पीएम मोदी के मशहूर प्रशंसक अभिनेता अनुपम खेर ने जब इस पर भड़कते हुए हंसल मेहता को याद दिलाया कि वे भी इस फ़िल्म से जुड़े थे, इसलिए उनका सांघवी की टिप्पणी से सहमति जताना ‘पाखंड’ है तो मेहता ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा, “जाहिर है मैं अपनी ग़लतियों का मालिक हूँ। मैं स्वीकार कर सकता हूँ कि मुझसे ग़लती हुई।”
‘भारत रत्न’ की माँग से पहले मनमोहन सिंह से माफ़ी माँगेंगे केजरीवाल?
- विचार
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- 29 Dec, 2024

तो केजरीवाल के आंदोलन का हासिल क्या रहा? यही न कि बेदाग़ चरित्र वाले मनमोहन सिंह बुरी तरह बदनाम हुए और केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिल गया। केजरीवाल और उनकी पार्टी के शब्दबाणों से घायल मनमोहन सिंह ने कभी कोई जवाब नहीं दिया।
लेकिन आम आदमी पार्टी में हंसल मेहता जैसा साहस नहीं है। वरना इस पार्टी के नेता दिवंगत मनमोहन सिंह के लिए ‘भारत रत्न’ की माँग करने से पहले एक बार उनके साथ किये गये अपने व्यवहार के लिए माफ़ी माँगते। यह कैसी उलटबाँसी है कि मनमोहन सिंह को ‘भ्रष्टतम प्रधानमंत्री’ क़रार देने वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के गर्भ से निकली पार्टी आज उन्हें ‘ईमानदार' और ‘देश को दिशा’ देने वाले प्रधानमंत्री के रूप में याद करते हुए ‘भारत रत्न’ देने की माँग कर रही है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये एक इंटरव्यू में कहा, ‘मनमोहन सिंह जी का निधन भारत के लिए अपूरणीय क्षति है। इतिहास उन्हें एक महान और ईमानदार नेता के तौर पर याद रखेगा। उनमें भारत रत्न पाने की सभी योग्यताएं हैं। भारत सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।’