गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष की ओर से बार-बार डॉ. आंबेडकर का नाम लिए जाने को जिस तरह ‘फ़ैशन’ बताया है, उसने संघ (आरएसएस) शिविर में लंबे समय से पल रही एक ग्रंथि को सामने ला दिया है। ऐसे वक़्त जब ‘हिंदू राष्ट्र’ की हाँक लगाते तमाम बाबा और कथावाचक यात्राएँ निकाल रहे हैं और 2025 के महाकुम्भ में ‘हिंदू राष्ट्र’ के ऐलान की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, संसद से सड़क तक डॉ. आंबेडकर के विचारों पर बहस तेज़ हो गयी है जिन्होंने हिंदू राष्ट्र को ‘लोकतंत्र के लिए विपत्ति बताया था।’ यह स्थिति संघ के सपनों पर कुठाराघात की तरह है जो अगले साल अपनी स्थापना का शताब्दी समारोह मनाने जा रहा है।