बांग्लादेश के राजनीतिक घटनाक्रम ने पूरी दुनिया को चौंकाया है। छात्र आंदोलन स्वतः स्फूर्त ढंग से शुरू तो हुआ था आरक्षण के सवाल पर, लेकिन देखते देखते उसने राजनीतिक आयाम ग्रहण कर लिया और अंततः प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा। दस अगस्त को छात्रों के दबाव में मुख्य न्यायाधीश को भी इस्तीफा देना पड़ा। ऐसा लगता है कि छात्र पुराने सत्ता प्रतिष्ठान के सारे चिह्न मिटा देने पर आमादा हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में आंदोलन को अराजकता के रास्ते पर जाने का ख़तरा भी है।