बांग्लादेश के राजनीतिक घटनाक्रम ने पूरी दुनिया को चौंकाया है। छात्र आंदोलन स्वतः स्फूर्त ढंग से शुरू तो हुआ था आरक्षण के सवाल पर, लेकिन देखते देखते उसने राजनीतिक आयाम ग्रहण कर लिया और अंततः प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा। दस अगस्त को छात्रों के दबाव में मुख्य न्यायाधीश को भी इस्तीफा देना पड़ा। ऐसा लगता है कि छात्र पुराने सत्ता प्रतिष्ठान के सारे चिह्न मिटा देने पर आमादा हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में आंदोलन को अराजकता के रास्ते पर जाने का ख़तरा भी है।
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन और सत्ता परिवर्तन का संदेश क्या?
- विचार
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- 26 Aug, 2024

बांग्लादेश में आरक्षण का सवाल क्या उकसाने वाला बिंदु था? क्या वहाँ युवाओं, छात्रों में मूल आक्रोश शेख हसीना की आर्थिक नीतियों से पैदा भयावह बदहाली, बेरोजगारी और शेख हसीना की ‘तानाशाही’ के खिलाफ था?
दुनिया आज यह अद्भुत नजारा बांग्लादेश में देख रही है कि छात्रनेता सीधे कैंपस से जेल होते हुए देश की कैबिनेट में पहुंच गए। छात्र नेताओं ने सरकार के मुखिया के चयन में भी अहम भूमिका निभाई है। ढाका विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के छात्र नाहिद इस्लाम टेलीकम्युनिकेशन और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भाषा विज्ञान के छात्र आसिफ महमूद युवा मामलों और खेल मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री बने हैं। दोनों की उम्र मात्र 26 साल है। नाहिद गणतांत्रिक छात्रशक्ति के सदस्य सचिव तो आसिफ उसके संयोजक थे। नाहिद ने एक वक्तव्य में कहा है कि, ‘देश में जनता का मताधिकार खत्म हो गया था। सारी संस्थाओं पर सत्तारूढ़ दल का कब्जा हो गया था। फासीवाद का अंत कर लोकतंत्र की पुनर्स्थापना करना हमारा लक्ष्य है।’