पिछले एक पखवाड़े के भीतर देश के अनेक राज्यों से साम्प्रदायिक हिंसा की वारदातों के अफ़सोसनाक समाचार सुनने को मिले। निश्चित रूप से दुनिया का कोई भी सभ्य समाज हिंसा, लूट, बस्ती में आगज़नी करने, हत्या, पत्थरबाज़ी, गोलीबारी, किसी समुदाय के धर्मस्थल पर किसी अन्य समुदाय से संबंधित ध्वज फहराने, लाऊडस्पीकर पर समुदाय विशेष को गलियां देने, उन्हें धमकाने और दहशत फैलाने आदि दुष्कृत्यों को सही या जायज़ नहीं ठहरा सकता।