1 अगस्त को सरकार द्वारा "मुसलिम महिला अधिकार दिवस" के रूप में घोषित किया गया है। मैं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (जिनसे मैं योजना आयोग में अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान कई बार मिली थी) से पूछती हूं, "क्या आप वास्तव में इस 'दिन' में विश्वास करते हैं?"
मुसलिम महिला अधिकार दिवस- एक धोखा
- विचार
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- 11 Aug, 2021

2014 से लेकर, और आज तक। हर महीने और हर साल, मुसलमानों के खिलाफ लिंचिंग और हिंसा के मामले लगातार सामने आए हैं- इसका सबसे अधिक शिकार पुरुष, युवा और लड़के हैं।
2 अगस्त को जारी एक साझा बयान में, जिसमें सभी धर्मों के 1,000 से अधिक महिलाओं और पुरुषों ने, इस कृत्य को “सनकी कृत्य" कहा है। इस घटना पर बसु भट्टाचार्य की फिल्म “तीसरी कसम" में शैलेंद्र का एक लोकप्रिय गीत, "साजन रे झूठ मत बोलो/ खुदा के पास जाना है!" दिमाग में आता है।
1998 में, जब मैं राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य थी, मैं मौलाना अबुल हसन अली नदवी से मिलने लखनऊ के नदवातुल उलूम विश्वविद्यालय गई। जो मौलाना अली मियाँ के नाम से प्रसिद्ध थे। वो ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष भी थे। तब, मोहिनी गिरि के मार्गदर्शन में आयोग ने देश भर में 18 स्थानों पर मुसलिम महिलाओं की जनसुनवाई पूरी की थी। हम मौलाना अली मियां के साथ अपने निष्कर्ष साझा करना चाहते थे। उन्होंने बड़े स्नेह और गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया।