मायावती एक बार फिर से कांग्रेस पर तीखे हमले कर रही हैं। अंदाज़ से लग रहा है कि या तो वे काँग्रेस की सक्रियता से घबराई हुई हैं या फिर बीजेपी की शरण में जाने की तैयारी कर रही हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की विशेष रिपोर्ट।
हाल में उत्तर प्रदेश में हुए उप चुनावों में बीएसपी की हालत ख़राब क्यों हुई? चुनाव नतीजे में दिखा कि बीएसपी का जो सामाजिक आधार है वह तेज़ी से सिकुड़ रहा है। तो क्या मायावती की राजनीति ख़त्म हो रही है? क्यों है ऐसी स्थिति? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
मायावती के निशाने पर अब बीजेपी नहीं बल्कि कांग्रेस है। लोकसभा चुनावों से ही जब तब कांग्रेस को आड़े हाथों लेती रहीं मायावती ने अब अपनी सारी ताक़त कांग्रेस विरोध में क्यों लगा दी है।
मायावती के भाई आनंद कुमार पर आयकर विभाग ने की कार्रवाई, नोएडा में 400 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति की ज़ब्त। आयकर विभाग ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि आनंद कुमार की संपत्ति में 2007 से 2014 तक करीब 18000 फीसदी की वृद्धि हुई है। सत्य हिंदी न्यूज़
क्या अब उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा महागठबंधन टूट जाएगा? लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के ख़राब प्रदर्शन के बाद पहली बार मायावती की ओर से इसके संकेत मिले हैं।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात देखकर ऐसा लगता है कि प्रदेश में बना गठबंधन और कांग्रेस, दोनों एक-दूसरे का नुक़सान करने और बीजेपी को फायदा पहुँचाने में लगे हैं।
मायावती का राजनीतिक संघर्ष सचमुच चमत्कारिक रहा है, लेकिन क्या वह इस लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने और प्रधानमंत्री की दावेदारी पर कुछ वैसा ही चमत्कार दिखा पाएँगी?
वैचारिक विचारधारा से इतर जातियों की गिनती कर अपनी पार्टी से जोड़ने का यह फ़ॉर्मूला बीएसपी को नुक़सान पहुँचा रहा है और वह लगातार अपने जनाधार गँवा रही है।
पुरानी अदावत भुला कर मैनपुरी में बसपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए रैली करेंगी तो मुज़फ़्फ़रनगर में अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल मुखिया अजित सिंह के लिए वोट माँगेंगे।