वर्ष 2021 में जब कॉर्डेलिया क्रूज पर कथित 'रेव पार्टी' और आर्यन खेन का नाम आया था तो मुख्यधारा मीडिया ने इसे कैसे पेश किया था? आर्यन के ख़िलाफ़ किस तरह का माहौल बनाया गया था?
पाकिस्तान में पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद बने हालात पर वहां के प्रतिष्ठित अखबार द डॉन ने खुलकर संपादकीय लिखा है। द डॉन अखबार ने साफ शब्दों में लिखा है कि इमरान खान को चुप कराकर या राजनीतिक सीन से हटाकर कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। लोग सेना से भी नाराज हैं, इसका इशारा कल की घटनाओं से मिल गया है। इसलिए इसे पढ़िए कि कोई बड़ा अखबार कैसे अपनी जिम्मेदारी निभाता है।
भारत में प्रेस की आजादी का जो हाल है, वो सामने है। लेकिन विश्व प्रेस आजादी दिवस के मौके पर हमें उन पत्रकारों को नहीं भूलना चाहिए, जो प्रेस की आजादी बरकरार रखने के लिए कुर्बानी देते आए हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग म्यांमार की घटना का जिक्र कर रहे हैं।
पुलवामा में मोदी सरकार की नाकामी पर जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक बहुत बड़ा खुलासा कर चुके हैं। लेकिन देश के मुख्यधारा के मीडिया ने सारे मामले पर ऐसे चुप्पी साध ली है, जैसे कुछ हुआ ही न हो। चिन्तक और सत्य हिन्दी के स्तंभकार अपूर्वानंद ने उसी खामोशी के अंदर झांकने की कोशिश की है।
विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों या सवालों पर मुख्य धारा का मीडिया की रिपोर्टिंग क्या उसी तरह होती है जैसी बीजेपी के मुद्दों या सवालों की होती है? क्या मीडिया की भाषा में कुछ अंतर दिखता है?
भारत में मीडिया की आजादी पर इतना बड़ा खतरा कभी नहीं आया। देश की मौजूदा सरकार यह कहती हुई सत्ता में आई थी कि वो मीडिया की आजादी को हर हालत में बरकरार रखेगी। लेकिन आज जो हालात हैं, वो सामने हैं। वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा ने प्रेस की आजादी के मौजूदा खतरों पर नजर डाली है।
सुप्रीम कोर्ट को आख़िर क्यों कहना पड़ा कि न्यूज़ एंकर नफ़रत फैला रहे हैं? अदालत ने एनबीएसए से क्यों कहा कि आप समाज को बांट रहे हैं, हेट स्पीच देने वाले कितने एंकरों को ऑफ एयर किया?
बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने न्यूज पोर्टल द वायर पर एफआईआर दर्ज कर ली है। दरअसल, द वायर ने अमित मालवीय से संबंधित मेटा स्टोरीज प्रकाशित की थीं। बाद में द वायर ने पाया कि आरोपों में सत्यता नहीं है तो द वायर ने खुद ही उन सारी रिपोर्टों या स्टोरीज को हटा लिया। द वायर की इस नेक पहल के बावजूद अमित मालवीय ने एफआईआर दर्ज करा दी। पूरी जानकारी आपके लिएः
पाकिस्तान सरकार के मुखर विरोधी अरशद शरीफ की केन्या में हत्या कर दी गई। अरशद के खिलाफ पाकिस्तान के तमाम शहरों में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया था। सोशल मीडिया पर इस हत्या के लिए पाकिस्तान के जनरल बाजवा को जिम्मेदार बताया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी को कवर करने वाले पत्रकारों से चरित्र प्रमाणपत्र मांगा गया है। जाहिर है पीएम मोदी ने ऐसा करने को नहीं कहा होगा। मोदी 5 अक्टूबर को हिमाचल में दशहरा मनाने जा रहे हैं। उनके वहां कई कार्यक्रम हैं। इसी मौके पर पत्रकारों से प्रमाणपत्र मांगा गया है। हालांकि पीएम की रैली में उन्हें सुनने वाले लोगों को ऐसे किसी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच पर टीवी एंकरों और सरकार को तमाम नसीहतें दी हैं। कोर्ट ने टीवी एंकरों से कहा कि वो अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उसने सरकार से कहा कि वो हेट स्पीच पर मूक दर्शक बनी हुई है। वंदना मिश्रा ने यही सवाल किया है कि क्या सरकार अब हेट स्पीच वालों पर एक्शन का साहस दिखा पाएगी। पढ़िए, यह लेख।
टीवी चैनलों में फर्जी टीआरपी मामले की जांच कर रही ईडी ने रिपब्लिक टीवी और आर भारत को क्लीन चिट दे दी है। जबकि उसने कहा है कि इंडिया टुडे के खिलाफ जांच अभी जारी है। हालांकि मुंबई पुलिस ने इस स्कैम के बारे में एफआईआर दर्ज करते हुए रिपब्लिक टीवी के चीफ अर्नब गोस्वामी पर कई आरोप लगाए गए थे। उसकी चार्जशीट में अरनब के वाट्सऐप चैट का जिक्र था।
सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों पर नफरती भाषा को लेकर बुधवार को सुनवाई के दौरान चिन्ता जताई। उसने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वो मूक दर्शक क्यों बनी हुई है। अदालत ने टीवी एंकरों को भी आगाह किया है कि उनकी जिम्मेदारी नफरती भाषा को रोकने की ज्यादा है।
एनडीटीवी के अधिग्रहण की जबरिया कोशिशों पर देशभर में चिन्ता जताई जा रही है। खुद एनडीटीवी ने इसका विरोध किया है और कहा अडानी समूह को इस डील के लिए सेबी का अनुमोदन लेना होगा।