पिछले 4 साल से एक-दूसरे को शह देते आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के 'युद्ध का मैदान' अब यूपी विधानसभा चुनाव बनने जा रहा है। दोनों नेता अति महत्वाकांक्षी हैं। दोनों का स्वभाव और प्रकृति लगभग एक जैसी है। लेकिन योगी आदित्यनाथ, नरेंद्र मोदी के राजनीतिक कौशल में पासंग भर नहीं हैं। मोदी का करिश्मा यह है कि उन्होंने उत्तर भारत के केंद्र वाली हिंदुत्व की राजनीति की पहली प्रयोगशाला गुजरात को बना दिया। आज गुजरात 'हिंदू राष्ट्र' का मॉडल बन गया है। लेकिन हिन्दुत्व का मॉडल यूपी में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है।
क्या यूपी में योगी-मोदी का जादू चलेगा?
- उत्तर प्रदेश
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- 6 Jun, 2021

दूसरा, बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी तथा कोरोना आपदा की बदइंतज़ामी से नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता घट रही है। अच्छे दिन, दो करोड़ रोज़गार और विकास के वादे पहले ही जुमला साबित हो चुके हैं। नोटबंदी, जीएसटी और अब 22 हजार करोड़ की विस्टा योजना से भी लोगों में नाराज़गी है। इन हालातों में बीजेपी-संघ के पास केवल हिंदुत्व और सांप्रदायिकता मुद्दे हैं।
यूपी को मॉडल बनाने के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आरएसएस ने नरेंद्र मोदी की मर्जी के विपरीत योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनवाया था। माना जाता है कि मोदी और आरएसएस के बीच भी अंदरूनी संघर्ष चलता है। मोदी का वन मैन शो वाला तानाशाही रवैया संघ को नहीं भाता। संघ अपने एजेंडे को शीघ्र लागू करना चाहता है। उसका लक्ष्य अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है। लेकिन मोदी के लिए सत्ता सर्वोपरि है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।