क्या रास्ता बचा हुआ है? और उसपर चलने को राही जो एक दूसरे के हमराह हों? पिछले हफ़्ते 5 राज्यों की नई विधान सभाओं के लिए हुए चुनावों के नतीजों की घोषणा के बाद धर्मनिरपेक्ष जन ख़ुद से यह सवाल कर रहे हैं।
चुनाव नतीजे: क्या धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए रास्ता बचा हुआ है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- अपूर्वानंद
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- 14 Mar, 2022


अपूर्वानंद
धर्मनिरपेक्षता को राजकीय तरीक़े से तभी लागू किया जा सकता है जब समाज में उस मूल्य को लेकर स्वीकृति हो। उसके लिए सबसे पहले विभिन्न धार्मिक और अन्य प्रकार के समुदायों के बीच हमदर्दी क़ायम करना ज़रूरी है। उनमें हर तरह का साझापन विकसित करते रहना आवश्यक है।
धर्मनिरपेक्ष जान बूझकर लिखा। इस शब्द को बार-बार लिखा जाना चाहिए ताकि जनस्मृति से यह ग़ायब न हो जाए। इस चुनाव के प्रचार में हमने असली हिंदूपन के खोज की बहुत चर्चा सुनी। लेकिन शायद ही किसी “धर्मनिरपेक्ष” राजनीतिक दल ने अपने मतदाताओं को कहा कि इस चुनाव का एक सवाल धर्मनिरपेक्षता की रक्षा भी है।
लेकिन धर्मनिरपेक्षता के बिना भारतीय जनतंत्र बेमानी हो जाएगा, यह बारंबार कहने की ज़रूरत है।
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अपूर्वानंद
अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाते हैं।