योगेंद्र यादव पर यह कार्रवाई लखीमपुर खीरी की हिंसा में मारे गए बीजेपी के एक कार्यकर्ता के घर जाने पर हुई है। यादव को एक महीने के लिए निलंबित किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों में कई लोगों की हत्या कर दी गई है। श्रीनगर में माखन लाल बिंदरू की हत्या के दो दिन बाद ही आतंकवादियों ने दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी।
महात्मा गांधी का इस्तेमाल क्या सरकारों ने अपने-अपने तरीक़े से नहीं किया है? राज्यों ने क्या गांधी की एक ऐसी सरलीकृत छवि निर्मित नहीं की है जो किसी के लिए असुविधाजनक नहीं रहे?
किस तरह के सकारात्मक रवैए की अपेक्षा की जाती है? प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर एक दिन में 2.5 करोड़ टीके लगने से पहले और बाद में 50-60 लाख ही टीके लगाया जाना कैसी सकारात्मकता है और केरल में ईसाई-मुसलमान सद्भाव की बात करना कैसी सकारात्मकता?
इमा राडुकानू की यूएस ओपन में जीत पर चार-चार मुल्कों में तालियाँ बज रही हैं। इमा आप्रवासी हैं। उन्होंने ब्रिटेन को 44 साल बाद यह ट्रॉफी दिलाई है। यह जीत ऐसे समय में आई है जब इंग्लैंड की गृह मंत्री आप्रवासियों को वापस धकेलने की बात कह रही हैं।
नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीय मुसलमानों को संदेश दिया। उन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम और दुनिया के बाक़ी हिस्सों के इस्लाम के बीच फर्क बताया है। आख़िर उनके बयान पर विवाद क्यों है?
हज़ारों अफ़ग़ानिस्तानी अपना देश छोड़ कर कहीं और पनाह लेना चाहते हैं। अभी जब अफ़ग़ानिस्तान के लोग त्राहिमाम करते हुए पूरी दुनिया से शरण मांग रहे हैं तो उसकी प्रतिक्रिया क्या है?
तालिबान के पहले बयानों में जनतंत्र को ठुकरा दिया गया है। हम जो न तो राज्य हैं, न विशेषज्ञ, हम तालिबान को जनतांत्रिक, मानव अधिकार के उसूलों की कसौटी पर ही परखेंगे।
सीमा विवाद के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अभी जो हो रहा है, वह नया और चिंताजनक है। असम के मुख्यमंत्री ने तय कर लिया है कि वे राज्य में किसी न किसी प्रकार तनाव का निर्माण करेंगे और जो तनाव पहले से हैं, उन्हें बढ़ाएंगे।
पेगासस तकनीक के सहारे जासूसी की अंतरराष्ट्रीय ख़बर के बाद इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी तकनीक की इज़ाज़त किसी रूप में देनी चाहिए जो राज्य के लिए हमारी निजता का पूरी तरह से अतिक्रमण करना इतना आसान बना दे?
एनएसओ का कहना है कि वह पेगासस सिर्फ़ सरकारों या उनकी संस्थाओं को बेचती है। तो क्या भारत में भारत सरकार यह कर रही है? या कोई और सरकार इसके ज़रिए भारत के पूरे तंत्र की जासूसी कर रही है? दोनों ही गंभीर चिंता का विषय हैं।
दानिश सिद्दीकी की तसवीरें खोयी इंसानियत को तलाश करने की अपील हैं। तालिबान अपने अफ़सोस की रस्म से निकलकर यह असली काम कर पाएँगे या भारत में या पूरी दुनिया में हिंसा और युद्ध को ही जीवन बना देनेवाले इस अपील को सुन पाएँगे, पूछ रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।
क्या भारत में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होता है? उत्तर हम सब जानते हैं। लेकिन अगर प्यू रिपोर्ट पर यक़ीन करें तो अधिकतर भारतीयों ने अपने जीवन में किसी प्रकार के जातिगत और धर्म-आधारित भेदभाव का सामना नहीं किया है। ऐसा क्यों है?
एक महीने से अधिक हो गया, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगेर में पूरे बस्तर से हजारों आदिवासी इकठ्ठा हो रहे हैं। वे सिलगेर में सीआरपीएफ़ का कैंप लगाए जाने का विरोध कर रहे हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक बयान पर चर्चा चल रही है। उन्होंने असम के (बांग्लाभाषी) मुसलमानों को सलाह दी कि वे परिवार नियोजन अपनाएँ और जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करें।
श्मशान खाली हैं और कब्रों की खुदाई करनेवालों के हाथों को कुछ आराम है। हस्पतालों में भी बिस्तर अब मिल जाएँगे। तो क्या हम इसे प्राकृतिक चक्र मानकर बैठ जाएँ? कितने लोग इस बीच गुज़र गए, उनके बारे में सोचने की जहमत कौन ले?
अब स्पष्ट है कि देश को हर तरफ और हर मुमकिन तरीके से अराजकता में धकेला जा रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली रिपोर्ट करने का निर्देश।