केंद्र सरकार ने हिन्दू, सिख और बौद्ध धर्म से इतर अन्य धर्मों के दलितों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगाने का इरादा जताया है और इस बाबत सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है। इस ख़बर ने देश की सियासत में दलितों के इस्तेमाल की नयी संभावना या आशंका पर नया विमर्श छेड़ दिया है।
अल्पसंख्यक दलितों के लिए क्यों उमड़ा है प्रेम?
- विश्लेषण
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- 22 Sep, 2022

प्रतीकात्मक तसवीर।
ईसाई, मुसलिम बनने वाले अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति कैसी है, यह जानने के लिए सरकार कमेटी बनाने पर विचार क्यों कर रही है? जानिए, इसका मक़सद क्या है।
लोग जानना चाहते हैं कि आखिर केन्द्र सरकार मुस्लिम, ईसाई, यहूदी, पारसी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के दलितों की स्थिति जानने की विशेष कोशिश क्यों कर रही है और इसका भारतीय सियासत पर क्या असर पड़ने वाला है। चंद महत्वपूर्ण सवाल हैं जिन पर गौर करना जरूरी हो जाता है और यहीं से विमर्श आगे बढ़ता है-
- क्या वाकई गैर हिन्दू, गैर बौद्ध और गैर सिख दलितों का भला करना चाहती है सरकार?
- बीजेपी की घोषित नीति अल्पसंख्यकों के दलित समुदाय को आरक्षण देने के ख़िलाफ़ रही थी लेकिन क्या अब इसमें बदलाव आया है?
- धार्मिक अल्पसंख्यकों में दलितों की वर्तमान दशा को जानने के पीछे कोई और मंशा तो नहीं?
- आरक्षण के लाभुक दलित समुदाय के हितों को क्या इससे नुक़सान होगा? इस वर्ग की प्रतिक्रिया क्या रहने वाली है?