पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस यानी पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ रहे हैं या घट रहे हैं? इस सवाल का जवाब यूँ तो रोज़ बदलता है। पिछले दो चार दिन में देखें तो घट रहे हैं खासकर सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाने के एलान के बाद। लेकिन साल भर का हाल देखें तो बेतहाशा बढ़त दिखती है। आगे क्या होगा कहना बहुत मुश्किल है। राजनीति की नज़र से देखें तो अब पांच राज्यों के चुनाव आने हैं इसलिए सरकारों की तरफ़ से राहत दी जाएगी या राहत देने की कोशिश तो ज़रूर की जाएगी। फिर भी कितनी राहत मिल पाएगी यह कहना मुश्किल है।

भारत के क़रीब-क़रीब सभी पड़ोसी देशों में पेट्रोल का दाम भारत से कम है। हालाँकि उतना कम नहीं है जितना अफवाहों में बताया जाता है। नेपाल और बांग्लादेश में एक लीटर पेट्रोल अठहत्तर रुपए के कुछ ऊपर नीचे मिलता है तो पाकिस्तान में बावन रुपए लीटर और श्रीलंका में क़रीब अड़सठ रुपए का।
वजह यह है कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की क़ीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के भाव पर बहुत हद तक टिकी हैं। भारत अपनी ज़रूरत का पच्चासी परसेंट से ज़्यादा कच्चा तेल बाहर से ही मंगवाने पर मजबूर है और इसीलिए देश में इन चीजों के दाम कम करना सिर्फ़ सरकार के बस की बात नहीं है।