मुझे लगता है कि हमारे समय की सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली घटना है-सुप्रीम कोर्ट का पतन। इसके एक पूर्व जज के नाते मेरा कर्तव्य है कि मैं कम से कम चेतावनी की घंटी तो बजा दूं। राजनीतिक चिंतक एडमंड बर्क ने कहा है कि जजों को इस तरह प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे सरकार की गड़बड़ियों का पता लगा लें और 'हर राजनीतिक बयार के पहले ही उससे होने वाले उत्पीड़न को सूंघ लें।' हमें इस तरह के अदालतों की ज़रूरत है, पर दुर्भाग्यवश हमारी अदालतें ऐसी नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट का पतन संयोगवश नहीं, सोच समझ कर बनाई गई रणनीति का हिस्सा - जस्टिस ए. पी. शाह
- विचार
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- 20 Sep, 2020

जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने जस्टिस सुरेश शाह मेमोरियल लेक्चर देते हुए एक आलेख पढ़ा, 'सुप्रीम कोर्ट का पतन, भूली हुई आज़ादी और घटे हुए अधिकार'। पेश हैं उसके मुख्य अंशों का अनुवाद।


























